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Sunday, January 30, 2011

कश्मीर
निहारती है आईने में
एक चिड़ी.
आईने में             खूब चौंच मरती है.
वह करती है  पुरजोर
आक्रमण ,     अपने ही बिम्ब पर.

फलस्वरूप / लहूलुहान हो गयी है
छिड़ी.
उसकी इस अकलमंदी पर
हँसता है --------आइना
आखिर,
वह   कब तक करती रहेगी
खुदको --------यूँ  फ़ना?
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