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Sunday, January 30, 2011

समारोह
उसके इर्द-गिर्द
खड़े  थे
               कुछ चुनिन्दा गुलाम.
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उसने
बे-वज़ह  हंसी का
जो ओओ -----र  दार ठहाका लगाया.
( किसी की,
               कुछ समझ नहीं आया )
लेकिन,
 सब थे उसकी ख़ुशी में शामिल)
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एक हंसा
    बत्तीसी खोल कर.
दूसरा दिखा सका
               
 सिर्फ दाँत भर.
तीसरा मुस्करायाभर.
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वे कौन थे?
वे क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे दर्जे के गुलाम थे.
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एक व्यक्ति
जो गुलाम नहीं था.
गंभीर / चुप
असहाय ----- यह सब देखता रहा.
वह कौन था?
                     मेरा देश था.
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